"स्वर्णिम विजय वर्ष" | A poetry on Indo-Pak war 1971🇮🇳✨

A poetry that is written by me on this "स्वर्णिम विजय वर्ष". I've also submitted this for poem competition conducted by @indianarmy.adgpi🇮🇳 Hope you guys like it.✨


था वो दिन 3 दिसंबर 1971 ।

जब हो गई थी पूर्वी पाकिस्तानियों की हालत बद से बत्तर।।

ढाते थे पश्चिमी, पाकिस्तानी पूर्वियों पर जोर ।

रुख बदलना पड़ा उनको और करना पड़ा भारत की ओर मोड़।।

यह किस्सा था दुनिया का नक्शा बदलने का।

यह हिस्सा था भारत का दुश्मनों से डटकर सामना करने का।।

थी यह पाकिस्तान की आत्मसमर्पण की कहानी।

जो हो पाई संभव भारतीयों की हिम्मत की जुबानी।।

तब कर दिया हमने हजारों पाकिस्तानियों को ध्वस्त।

जब इंदिरा गांधी जी एक आवाज पर उठा लिए हमने शस्त्र।।

हुआ जंग का ऐलान, तैयार खड़े थे हमारे साहसी जवान।

हां, था थोड़ा मुश्किल हमारे 120 जवानों का हजारों लाखों पाकिस्तानियों का सामना करना, पर कोई भी ताकत कहां है बड़ी अगर दिल में हो हिंदुस्तान।।

हां था वह दिन 3 दिसंबर 1971।

जब मिला था पाकिस्तानियों को एक मुंह तोड़ उत्तर।।

क्या तुम्हें याद है पाकिस्तानियों लोंगेवाला की लड़ाई?।

जब हमारे 120 जवानों के सामने हो गई थी तुम्हारे 2000 जवानों की सफाई?।।

हां याद है हमें, तुम्हारी अमेरिका जैसे मुल्कों के साथ बनाई गई कूटनीति।

पर क्या तुम्हें याद है कि हमारी जल, थल और वायु सेना के सामने तुम्हारी एक ना चली थी रणनीति?॥

आखिरकार तुम्हारी 93000 की सेना को करना पड़ा सरेंडर और कुछ भी ना था शेष।

हुई हिम्मत और आत्मविश्वास की जीत और दुनिया को मिल गया बांग्लादेश!॥

यह पंक्तियां तो थीं बस सिर्फ एक छोटी सी दास्तां।

असल में तो हुआ था कि ऐसा बहादुरी का काम जिसे हमेशा याद रखेगा हिंदोस्तान॥

तो आओ चलो मिलकर मनाएं हम यह स्वर्णिम विजय वर्ष।

जिसका बजा था पूरे विश्व में डंका वह था हमारा भारतवर्ष।।🇮🇳✨

Jai Hind Jai Bharat✨🇮🇳


Img source: MyGov.in


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