"Tum dinbhar karti hi kya ho "? | A poem on work of a housewife | Siya ke shabdon se

 सुबह 6 बजे उठ जाना

और फिर इस दिन का शुरू हो जाना

उठकर पानी भरना ,सफाई करना
और फिर सब्जी और दूध का ख्याल रखना।
आज खाने में क्या बनाना है से लेकर
 कपड़ों पर आज प्रेस की करना है और आटा भी पीसना है ।
Inshort she is the home maker!!
झाड़ू पोछा कर कर फिर उसका मंदिर जाना
फिर आकर सब के लिए नाश्ता बनाना
सब्जी भी बनाना है और रोटी दाल चावल भी
प्याज टमाटर की चटनी भी बनाना है और साथ में किचन की सफाई भी
सब को खाना खिला कर खुद आखिर में खाना है और सब कुछ समेटकर बर्तन भी माँझना है
 अगर पानी बरस जाए तो आंगन भी साफ करना है
और अगर चूहा मर जाए तो वह भी साफ करना है
घर में अगर काम लगा हो तो बाद में वह सब भी साफ करना है
और अगर कपड़े बर्तन वाली ना आए तो उनका भी काम करना है


फिर आती है शाम
पर अभी खत्म नहीं हुआ है उसका काम
सबके लिए चाय बनाना है
और फिर नाश्ते में क्या बनाना है यह भी तो सोचना है
सबकी पसंद का नाश्ता बना कर वह अब खाने के बारे में सोचती है
कोन क्या खायेगा क्या नही, कल की तरह आज की सब्जी बनानी है या नही ,इन सब विचारों को तोलती है।
किचन की सफाई भी करनी है
और त्योहार आए तो नाश्ता भी बनाना है
सब को खाना परोस कर वह सुबह का खाना खुद ही खा लेती है,
कभी वह अच्छे से नहीं खाती यह सोच कर कि सब को हो जाने दो,
सब का खाना हो जाने के बाद  किचन भी साफ करना है और रुको 2 मिनट अभी थाली की झूठन भी तो साफ हो जाने दो।
कल से यही काम फिरसे चालू होना है
चाहे पैरों में दर्द हो या बुखार हो पर काम तो जरूर करना है
इतना सब कुछ करने के बाद उन्होंने हमेशा ये ही कहना है

" आखिर तुम दिनभर करती ही क्या हो"??


Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

ISRO Workshop: An Unforgettable 3-Day Experience🌠☄️💫

"My first day of college" blog🌺😀

10 emerging skills you must try to learn in 2021🔥♥😎