"चर्चा"-a poem on comparison
एक बार चर्चा बैठी रात में ...
आये थे सब ग्रह सितारे साथ में
बातों ही बातों में एक बहस छिड़ पढ़ी....मुद्दा ऐसा था कि सबके सामने दुबिधा थी आ खड़ी
मुद्दा था चाँद और सूरज में महानता में कोन है आगे खड़ा....
किसमे है कितने गुण कोन है सबमे सबसे बड़ा....
किसी ने कहा चाँद बड़ा तो किसी ने कहा सूरज.....
चाँद और सूरज देख रहे थे सबको लेकर अपना धीरज
सूरज के प्रताप से रोशन है जग सारा.....
तो चाँद भी तो अंधेरे में करता उजियारा
सूरज बिना क्रिया नही तो चाँद बिना न चैन.....
कोन है बड़ा सब सोच कर हो रहे थे बैचैन
सूर्य का प्रताप था तो चंद्र की शीतलता.....
सूर्य का तेज था तो चंद्र की निर्मलता
लंबी बहस के बाद सब आये इस निर्णय की ओर.....
की क्यों न विधाता का ही ले आएं इस मुद्दे पर गोर
सब गए विधाता के पास और लगाई उनसे दुहाई.....
कुछ थे चाँद के और कुछ थे सूरज के अनुयायी
विधाता ने सबकी सुनके बात एक ऐसा निर्णय निकाला....
और सबको शांत करके बड़े अच्छे से समझाया
कहा उन्होंने न ही सूरज बड़ा और न ही है चंद्र बड़ा....
बड़ा वही है जो सबके हित में है खड़ा
सूर्य अपने अंदाज़ में और चांद अपने अंदाज़ में है
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ReplyDelete😄😃
ReplyDeletenice poem. some day you will be also give warmth like sun and make brightness to night through your poem.
ReplyDeleteThanks for your shiny wishes 🙌✨
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